कौन सा सोलर पैनल अच्छा है?
सोलर पैनल के टाइप
मार्किट में आम तौर पर तीन तरीके के सोलर पैनल उपलब्ध हैं :-
पोली क्रिस्टलीन सोलर पेनल्स ,
मोनो क्रिस्टलीन सोलर पेनल्स ,
थिन फिल्म सोलर पेनल्स।
थिन फिल्म सोलर पेनल्स की लाइफ कम होने के कारण इनका उपयोग कम होता है, आईये इनके बारे में एक एक कर जाने।
पोली क्रिस्टलीन सोलर पेनल्स :-
पॉली पेनल |
यह पेनल्स बहोत सारे मल्टी सिलिकॉन सोलर सेल वेफर्स का उपयोग कर के बनाये जाते हैं।
यह आम तौर पर गहरे नीले रंग के होते हैं।
यह बहुत सारे प्रकार के सेमीकंडक्टर मैटेरियल्स के मिश्रण से बनते हैं, इसीलिए इनके ऊपर एक क्रिस्टलिये चमक दिखाई देती है।
अंग्रेजी शब्द पाली (poly) का असल मतलब भी “बहुत” होता है इसीलिए इन्हे पाली क्रिस्टलीन कहा जाता है।
यह मोनो के मुकाबले कम एफ्फिसिएंट होते हैं।
यह मोनो के मुकाबले ज्यादा जगह लेते हैं।
यह मोनो के मुकाबले सस्ते होते हैं।
और ज्यादा गर्मी बर्दाश करने की क्षमता रखतें हैं, इसीलिए बहोत ज्यादा गर्मी वाले इलाको में मोनो से ज्यादा सक्षम होते हैं।
अच्छाईयां :-
सस्ते होते हैं,
ज्यादा गर्मी बर्दाश करने की क्षमता रखते हैं।
बुराइयां :-
ज्यादा जगह लेते हैं,
काम एफ्फिसिएंट होते हैं।
मोनो क्रिस्टलीन सोलर पेनल्स :-
मोनो पेनल |
यह बहोत सारे सिंगल सिलिकॉन सोलर सेल वेफर्स से बनाये जाते हैं।
यह आम तौर पर काले रंग के होते हैं।
यह सिर्फ एक ही प्रकार के सेमीकंडक्टर मैटेरियल से बनते हैं।
अंग्रेजी शब्द मोनो (mono ) का असल मतलब भी “एक” होता है इसीलिए इन्हे मोनो क्रिस्टलीन कहा जाता है।
यह पोली के मुकाबले अधिक एफ्फिसिएंट होते हैं।
यह पोली के मुकाबले ज्यादा लम्बे समय तक चलते हैं।
यह पोली के मुकाबले कम जगह लेते हैं।
यह पोली के मुकाबले ज्यादा मेहेंगे होते हैं।
यह ज्यादा गर्मी बर्दाश करने की क्षमता नहीं रखतें हैं, इसीलिए बहोत ज्यादा गर्मी वाले इलाको में मोइनका उपयोग नहीं किया जाता है।
अच्छाईयां :-
ज्यादा आयु होती है,
कम जगह लेते हैं,
अधिक एफ्फिसिएंट होते हैं।
बुराइयां :-
मेहेंगे होते हैं,
पाली के मुकाबले ज्यादा गर्मी बर्दाश करने की क्षमता नहीं रखते।
थिन फिल्म सोलर पेनल्स :-
थिन फ्लिम पेनल |
यह सिलिकॉन सोलर सेल वेफर्स से नहीं बनाये जाते।
यह आम तौर पर एक सेरेमिक मटेरियल के ऊपर सेमीकंडक्टर मटेरियल का पेंट स्प्रे कर के बनाये जाते हैं।
यह आम तौर पर गहरे काले रंग के होते हैं, और देखने में सबसे खूबसूरत लगते हैं।
यह सिर्फ एक ही प्रकार के सेमीकंडक्टर मैटेरियल के स्प्रे से बनते हैं।
कम आयु के कारण इनका उपयोग भी कम होता है।
इनको बनाना काफी आसान होता है।
छाया का इन पर कम असर होता है।
अच्छाईयां :-
छाया का असर काम होता है,
प्रोडक्शन आसान होता है।
बुराइयां :-
आयु कम होती है,
जगह ज्यादा लेते हैं।
निष्कर्ष :-
मोनो पेनल्स सबसे अच्छे हैं मगर महंगे भी, लेकिन जब आप सोलर में इन्वेस्ट करते हैं तो याद रखिये यह 25 साल के लिए होता है।
अगर कहीं ज्यादा गर्मी पड़ती है पोली के साथ जाएँ, अगर जगह की कमी है तो मोनो के साथ जाएँ।
अपना चुनाव सोच समझ कर करें, हमें आशा है कि हमने अपने आप को स्पष्ट कर दिया होगा।
सोलर से सम्बंधित किसी भी तरह की जानकारी के लिए नीचे कमेंट सेक्शन में अपना सवाल पूछिए।
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