What is VFD and Working in hindi.

Vfd

आज हम समझेंगे की VFD क्या होती है, विफडी कैसे काम करती है। हम मोटर की स्पीड को कैसे एडजस्ट कर सकते है और हमे विफडी की जरूरत क्यों पड़ती है। 


Why we use VFD?

विफ्डी का उपयोग क्यो करते है?

दोस्तों कम्पनी में कुछ मशीन ऐसी होती है जिनकी स्पीड को हमको बार बार मशीन ओपेरटर के हिसाब से कम ज्यादा करना पड़ता है। उस समय हम मशीन की स्पीड को मोटर की स्पीड बदलकर एडजस्ट कर सकते है।

मोटर स्पीड का मतलब होता है की मोटर के RPM को कम ज्यादा करना।

RPM की फुल फॉर्म-Revolutions Per Minute

मतलब मोटर का रोटर एक मिनट में कितनी बार घूम रहा है वही मोटर का RPM कहलाता है। और विफडी की सहयता से हम आसानी से मोटर के RPM को बदल सकते है।


मोटर की स्पीड कैसे एडजस्ट होती है?

इलेक्ट्रिकल मोटर की स्पीड को बदलने के हमारे पास दो तरीके होते है।

1. हम मोटर के पोल(Pole) की संख्या को कम ज्यादा करके मोटर के RPM को बदल सकते है। मोटर के पोल जितने कम होंगे मोटर के RPM उतने ही ज्यादा होगे। मोटर के पोल्स सबसे कम 2 तक होते है। अब जैसे जैसे पोल्स बढ़ते है उसी अनुसार मोटर की स्पीड कम होती जाती है।


2. हम मोटर मे जाने वाली इलेक्ट्रिकल सप्लाई की फ्रीक्वेंसी को एडजस्ट करके मोटर के RPM को कम ज्यादा कर सकते है।

दोनो तरीको मे से हम 2 नंबर तरीके का ज्यादा उपयोग लेते है।

क्योंकि 1 नम्बर तरीके से मोटर RPM को बदलने के लिए हमे पोल की संख्या बदलनी पड़ेगी, जोकि फिक्स होती हे। Poles हमेशा मोटर की वाइंडिंग के स्लॉट पर निर्भर होते है उसको हम चेंज नहीं कर सकते।

तो अब हमारे पास सिर्फ एक ही तरीका बचता हे, कि अब मोटर मे दी जाने वाली इलेक्ट्रिकल सप्लाई की फ्रीक्वेंसी को कम ज्यादा करके मोटर स्पीड बदलेंगे ।

इसके अलावा मशीन की स्पीड कम ज्यादा करने के लिए हम मोटर पर लगे गियर बॉक्स को भी एडजस्ट कर सकते है, पर गियर बॉक्स को एडजस्ट करना काफी मेहनत भरा होता है।

और अगर हम गियर बॉक्स की सहायता से स्पीड को एडजस्ट करंगे तो हमको बार बार मशीन को बंद भी करना पड़ेगा। पर VFD की सहायता से स्पीड आसानी से बदली जा सकती है।



What is VFD (विफडी क्या होती है)

विफडी एक मोटर कंट्रोलर होता है। जो मोटर मे जाने वाले वोल्टेज और फ्रीक्वेंसी को कम ज्यादा करके मोटर की स्पीड को बदलता है।

Vfd working



विफ्डी को मोटर कंट्रोलर क्यों कहते है?

दोस्तों विफडी को मोटर कन्ट्रोलर इसलिए बोलते है क्युकी विफडी के अंदर हमको मोटर की डिटेल भरनी होती है मतलब कुछ पैरामीटर भरने होते है । जिसकी मदद से हम मोटर को आसानी से कन्ट्रोल कर लेते है।

जैसे मोटर कितना करंट लेने पर बंद हो जाये मोटर में कितने वोल्टेज जाने चाहिए। इसके अलावा हम मोटर को विफडी की सहायता से पूरी तरीके से कण्ट्रोल कर सकते है। इसलिए हम विफडी को मोटर कंट्रोलर कहते है।


VFD Working

हम मोटर पर जो इलेक्ट्रिकल सप्लाई दे रहे थे, उस सप्लाई को अब हम पहले विफडी मे देंगे ओर विफडी से जो सप्लाई निकलेगी उसको हम मोटर पर कनेक्ट करेगे।

Vfd circuit


अब हम हमारी जरूरत के हिसाब VFD से निकलने वाली आउटपुट सप्लाई को एडजस्ट कर सकते है। और मोटर के RPM को आसानी से बदल सकते है।

हम जितनी ज्यादा फ्रीक्वेंसी की सप्लाई मोटर को देगे मोटर की स्पीड उतनी ज्यादा बढ़ेगी ओर जितनी कम फ्रीक्वेंसी देगे उतने कम मोटर के RPM।

Vfd in pump


विफडी कैसे काम करती है?

विफडी के अन्दर मुख्य 3 भाग होते है।

Converter Unit (कनवर्टर यूनिट)

Channel Unit (फ़िल्टर यूनिट)

Inverter (इन्वर्टर)


अब हम मानते है की हमने विफडी को 3 फेज 440 वोल्टेज 50 HZ सप्लाई दी। हमारी AC सप्लाई सबसे पहले VFD के Converter unit मे जाएगी।


Converter Unit-कनवर्टर यूनिट मे हमारी AC सप्लाई को DC सप्लाई में कन्वर्ट किया जाता है। कनवर्टर यूनिट मे रेक्टिफायर सर्किट होता है, जिसका काम एसी सप्लाई को डीसी सप्लाई मे बदलना होता है।

कनवर्टर यूनिट से डीसी सप्लाई निकलने के बाद यह सप्लाई फिल्टर यूनिट मे आती है।


Channel Unit-फ़िल्टर यूनिट का काम जो अभी हमको डीसी सप्लाई मिली है. वो प्योर डीसी नही होती है। इसमे कुछ एसी सप्लाई के गुण रह जाते है। तो अब फिल्टर यूनिट कनवर्टर यूनिट से मिली डीसी सप्लाई को प्योर डीसी सप्लाई मे बदलता है।

फिल्टर यूनिट से हमको एक प्योर डीसी सप्लाई मिल जाती है, अब आखरी काम इन्वर्टर यूनिट का होता है।


Inverter Unit-इन्वर्टर का काम होता है उस डीसी वोल्टेज को वापस से एसी वोल्टेज बदलकर मोटर को AC सप्लाई देना।


पर दोस्तो अब इन्वर्टर जो हमे AC Supply निकाल कर देगा, उसको हम हमारी जरूरत के अनुसार एडजस्ट कर सकते है।

मतलब अगर हमको मोटर को कम स्पीड पर चलाना है। तो अब हम विफडी के पैरामीटर मे जाकर फ्रीक्वेंसी को कम कर देगे। जिससे विफडी का इन्वर्टर यूनिट भी कम फ्रेक्वेंसी की सप्लाई हमारी मोटर को देगा। इस तरीके से हम मोटर को आसानी से कम ज्यादा RPM पर चला सकते है।

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