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हाँ, सोलर पैनल्स को रीसायकल किया जा सकता है, और आजकल दुनिया भर में इसकी प्रक्रिया को और भी प्रभावी बनाया जा रहा है ताकि पुराने या खराब हो चुके सोलर पैनल्स से उपयोगी मटेरियल वापस प्राप्त किया जा सके।
🌞 सोलर पैनल रीसाइक्लिंग क्या है?
जब किसी सोलर पैनल की उम्र (लगभग 25-30 साल) पूरी हो जाती है या वह डैमेज हो जाता है, तब उसे फेंकने के बजाय उसमें से सिलिकॉन, ग्लास, एल्यूमिनियम और अन्य मटेरियल को दोबारा उपयोग में लाने की प्रक्रिया को रीसाइक्लिंग कहा जाता है।
🔧 सोलर पैनल के मुख्य हिस्से:
1. ग्लास (Glass) – लगभग 70-75% हिस्सा
2. एल्यूमिनियम फ्रेम (Aluminium Frame)
3. सिलिकॉन सेल्स (Silicon Cells)
4. कॉपर और सिल्वर वायरिंग (Copper & Silver Wiring)
5. प्लास्टिक बैकशीट (Plastic Backsheet)
♻️ रीसाइक्लिंग की पूरी प्रक्रिया (Step-by-Step):
1. कलेक्शन और ट्रांसपोर्टेशन
पुराने या डैमेज सोलर पैनल्स को साइट से इकट्ठा किया जाता है और रीसाइक्लिंग प्लांट में भेजा जाता है।
2. डिसमैटलिंग (Dismantling)
पैनल को अलग-अलग हिस्सों में तोड़ा जाता है:
एल्यूमिनियम फ्रेम और जंक्शन बॉक्स को अलग किया जाता है।
ग्लास शीट्स और सिलिकॉन लेयर को अलग करने की तैयारी की जाती है।
3. थर्मल ट्रीटमेंट (Thermal Treatment)
पैनल को एक नियंत्रित तापमान पर गर्म किया जाता है ताकि प्लास्टिक और EVA (Encapsulant) पिघलकर अलग हो जाएं।
इससे सिलिकॉन सेल्स और ग्लास अलग हो जाते हैं।
4. मिकेनिकल प्रोसेसिंग (Mechanical Processing)
ग्लास को क्रश करके दोबारा नई शीट बनाने में प्रयोग किया जाता है।
मेटल्स (कॉपपर, एल्यूमिनियम, सिल्वर) को पिघलाकर रिफाइन किया जाता है।
5. केमिकल ट्रीटमेंट (Chemical Treatment) सिलिकॉन सेल्स में मौजूद अशुद्धियाँ (impurities) हटाने के लिए केमिकल सॉल्यूशन का प्रयोग होता है।
रीकवर्ड सिलिकॉन को नए सोलर सेल्स बनाने में फिर से प्रयोग किया जा सकता है।
6. री-यूज (Reuse)
रीकवर्ड एल्यूमिनियम → नई फ्रेम्स या मेटल उत्पादों में
ग्लास → नई ग्लास शीट्स में
सिलिकॉन → नए सोलर सेल्स या इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में
कॉपर/सिल्वर → वायरिंग और सर्किट बोर्ड्स में
🌍 भारत में सोलर पैनल रीसाइक्लिंग की स्थिति
भारत में अभी यह उद्योग शुरुआती अवस्था में है, लेकिन MNRE (Ministry of New & Renewable Energy) ने ई-वेस्ट मैनेजमेंट के तहत सोलर PV वेस्ट रीसाइक्लिंग के लिए गाइडलाइन तैयार की है।
2026 तक बड़े स्तर पर **रीसाइक्लिंग प्लांट्स** लगाने की योजना है।
⚠️ रीसाइक्लिंग के फायदे:
✅ कचरे (E-waste) में कमी
✅ पर्यावरण की सुरक्षा
✅ महंगे मटेरियल जैसे सिल्वर, सिलिकॉन की रिकवरी
✅ नई नौकरियों का सृजन
🚯 अगर रीसायकल न किया जाए तो नुकसान:
❌ हानिकारक केमिकल्स मिट्टी और पानी को प्रदूषित करते हैं
❌ बड़ी मात्रा में लैंडफिल वेस्ट बनता है
❌ रिसोर्सेज की बर्बादी होती है
🔄 संक्षेप में:
| चरण | प्रक्रिया | परिणाम |
| --- | ------------------------- | ------------------------ |
| 1️⃣ | कलेक्शन और डिसमेंटलिंग | पार्ट्स को अलग करना |
| 2️⃣ | थर्मल और मिकेनिकल प्रोसेस | ग्लास, मेटल की रिकवरी |
| 3️⃣ | केमिकल रिफाइनिंग | सिलिकॉन की पुनः प्राप्ति |
| 4️⃣ | री-यूज | नए उत्पादों में उपयोग |

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