क्या है इसरो का आदित्य L1 मिशन? 2 सितंबर को भरेगा उड़ान!


आदित्य L1 

आदित्य L1 एक भारतीय अंतरिक्ष यान है जिसका उद्देश्य सूर्य का अध्ययन करना है। यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित किया गया है और इसे 2 सितंबर, 2023 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था।


आदित्य L1 को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लाग्रेंज बिंदु 1 (L1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में तैनात किया जाएगा, जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर है। एल1 बिंदु के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में रखे गए उपग्रह को सूर्य को बिना किसी आच्छादन/ग्रहण के लगातार देखने का प्रमुख लाभ है। यह वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव को देखने का अधिक लाभ प्रदान करेगा।


आदित्य L1 सात नीतभार ले जाएगा, जो अलग-अलग वेव बैंड में फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परत (कोरोना) का अवलोकन करने में मदद करेंगे। नीतभारों में शामिल हैं:

आदित्य L1 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित किया गया है। यह एक 3-मीटर लंबा और 1.2-मीटर व्यास वाला त्रिकोणीय अंतरिक्ष यान है। यह एल्युमिनियम और कार्बन फाइबर से बना है।

* **SDO-A:** एक 1.5-मीटर दूरबीन जो सूर्य की सबसे बाहरी परत, कोरोना का अध्ययन करेगी।

* **SDO-B:** एक 10-सेंटीमीटर दूरबीन जो सूर्य के प्रकाशमंडल और क्रोमोस्फीयर का अध्ययन करेगी।

* **SDO-C:** एक 10-सेंटीमीटर दूरबीन जो सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन करेगी।

* **SDO-D:** एक 10-सेंटीमीटर दूरबीन जो सूर्य के सौर प्लाज्मा का अध्ययन करेगी।

* **SDO-E:** एक 10-सेंटीमीटर दूरबीन जो सूर्य के सौर वायु का अध्ययन करेगी।

* **SDO-F:** एक 10-सेंटीमीटर दूरबीन जो सूर्य के सौर तूफानों का अध्ययन करेगी।


आदित्य L1 का मिशन चार साल तक चलेगा। इस दौरान, यह सूर्य की गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव का अध्ययन करके हमारे सौर मंडल की बेहतर समझ प्रदान करेगा।


आदित्य L1 मिशन भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह भारत को सूर्य के अध्ययन में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करेगा।


आदित्य यान को L1 पॉइंट पर भेजे जाने के निम्नलिखित कारण हैं:

  • सूर्य को लगातार देखना: L1 पॉइंट पृथ्वी और सूर्य के बीच स्थित है। यहाँ, सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल समान रूप से संतुलित होते हैं, जिससे कोई भी वस्तु इस पॉइंट के चारों ओर स्थिर रूप से परिक्रमा कर सकती है। यदि आदित्य यान को L1 पॉइंट पर प्रक्षेपित किया जाता है, तो यह सूर्य को बिना किसी रुकावट के लगातार देख सकता है।
  • सूर्य के कोरोना का अध्ययन: आदित्य यान का मुख्य लक्ष्य सूर्य के कोरोना का अध्ययन करना है। कोरोना सूर्य की सबसे बाहरी परत है, जो बहुत गर्म और अत्यधिक पतली होती है। सूर्य के कोरोना का अध्ययन करने के लिए, आदित्य यान को सूर्य के बहुत करीब जाना होगा। L1 पॉइंट पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर है, जो आदित्य यान को सूर्य का अध्ययन करने के लिए एक आदर्श दूरी है।
  • अंतरिक्ष मौसम का अध्ययन: आदित्य यान अंतरिक्ष मौसम का भी अध्ययन करेगा। अंतरिक्ष मौसम सूर्य की गतिविधियों से प्रभावित होता है। L1 पॉइंट पृथ्वी के वायुमंडल से काफी दूर है, जिससे आदित्य यान को अंतरिक्ष मौसम के अध्ययन के लिए एक बेहतर स्थान मिलता है।

कुल मिलाकर, आदित्य यान को L1 पॉइंट पर भेजे जाने के कई कारण हैं। यह पॉइंट सूर्य का अध्ययन करने के लिए एक आदर्श स्थान है।


L1, जिसे लैग्रांज पॉइंट 1 के रूप में भी जाना जाता है, यह पृथ्वी और सूर्य के बीच एक स्थिर बिंदु है। यहाँ, सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल समान रूप से संतुलित होते हैं, जिससे कोई भी वस्तु इस पॉइंट के चारों ओर स्थिर रूप से परिक्रमा कर सकती है।

L1 पॉइंट का उपयोग विभिन्न अंतरिक्ष मिशनों के लिए किया जाता है, जैसे कि अंतरिक्ष मौसम का अध्ययन, सूर्य का अध्ययन और अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण के लिए एक अवसर के रूप में।

आदित्य-L1, जो भारत का पहला सूर्य यान है, को L1 पॉइंट पर भेजा गया है। यहाँ, यह सूर्य का अध्ययन करेगा और अंतरिक्ष मौसम का अध्ययन करेगा।

L1 पॉइंट पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर है। यह पृथ्वी के वायुमंडल से काफी दूर है, जिससे यह अंतरिक्ष यान के लिए एक सुरक्षित स्थान है।

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